भीड़ बढ़ने से असमंजस में वरिष्ठ नेता, ढूंढ रहे बीच का रास्ता
शिवपुरी जिले में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए पार्टी जिलाध्यक्ष का चयन करना लोकसभा और विधानसभा चुनाव में टिकिट देने से ज्यादा मुश्किल हो गया। कांग्रेस से आयातित होकर भाजपा में आई फौज से दावेदारों की भीड़ इतनी बढ़ गई कि अब चयन कठिन हो गया। सिंधिया गुट जहां अपनी दावेदारी कर रहा है, तो वहीं पुराने भाजपाई भी यह कहने से परहेज नहीं कर रहे कि हम क्या फर्श बिछाने और झंडा उठाने के लिए ही है।
भारतीय जनता पार्टी में जिलाध्यक्ष के लिए चल रही गलाकाट प्रतियोगिता इस हद तक पहुंच गई कि भाजपा के पैनलिस्ट प्रवक्ता व भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रह चुके धैर्यवर्धन शर्मा ने तो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जहर देने तक की मांग रख दी थी। उधर दोहरा कार्यकाल गुजरने के बाद पार्टी अध्यक्ष का ग्लैमर भोग चुके राजू बाथम भी इस सुखद अनुभव को छोड़ना नहीं चाहते। ऐसे में भाजपा के युवा नेता सोनू बिरथरे, गगन खटीक का नंबर कब लग पाएगा, यह कहना फिलहाल मुश्किल है।
यह तो हो गई पुराने भाजपा नेताओं की बात, अब हम बात करें उन भाजपा नेताओं की, जो कांग्रेस को सिंधिया के साथ तिलांजलि देकर पार्टी में आए हैं। उनमें भी कुछ सीनियर नेता है, जो कांग्रेस में भी विभिन्न पदों पर रह चुके हैं और अब भाजपा में भी जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर नजर गड़ाए बैठे हैं। हालांकि सिंधिया ने पिछले दिनों कुछ को तो अपना प्रतिनिधि बनाकर उन्हें गाड़ी में नेमप्लेट लगाने के लिए नाम तो दे दिया। फिर भी अभी कुछ नेता ऐसे हैं, जो खुद को वरिष्ठ मानकर इस पद के लिए योग्य मान रहे हैं। यह अलग बात है कि वो नेतागिरी में सीनियर हैं, लेकिन भाजपा में नए नवेले ही हैं।
इन हालातों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को नाम फाइनल करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इधर सिंधिया गुट और उधर संगठन में बरसों से जुड़े भाजपा के नेता-कार्यकर्ता। ऐसे में अब वो कोई बीच का रास्ता तलाश रहे हैं, ताकि नाम की घोषणा होने के बाद पार्टी की फजीहत न हो।
