वीरेंद्र के लिए क्या अब कोई पार्टी नहीं, या फिर वो एडजेस्ट नहीं हो पा रहे
चर्चा सरगर्म : सीएम के समक्ष 18 जून को वापस भाजपा में जा सकते हैं वीरेंद्र
शिवपुरी। राजनीति में अपनी बेवाक शैली के लिए पहचाने जाने वाले कांग्रेस और भाजपा से विधायक रहे वीरेंद्र रघुवंशी के लिए क्या अब कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बची?, या फिर वो एडजेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। फिलहाल तो उन्होंने यही बात कहकर कांग्रेस से इस्तीफा दिया है, लेकिन यह चर्चा भी सरगर्म है कि 18 जून को कोलारस आ रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष वीरेंद्र की भाजपा में वापसी हो सकती है।
गौरतलब है कि बीते सोमवार को जब कांग्रेस के महाराष्ट्र सांसद और जौरा विधायक कांग्रेस को जोड़ने के लिए बैठकें ले रहे थे, उसी समय 2 साल पहले भाजपा छोड़कर आए वीरेंद्र रघुवंशी ने अपना इस्तीफा सोशल मीडिया पर डाल दिया। महत्वपूर्ण बात यह है कि वो इस्तीफा देने के लिए कांग्रेस की समन्वय समिति की बैठक को बीच में छोड़कर गए। हालांकि इन दो साल में कांग्रेस ने रघुवंशी को सिर्फ सपने ही दिखाए, लेकिन पूरा कोई नहीं किया। पार्टी से मिले इतने छलावे के बाद शायद वीरेंद्र रघुवंशी का सब्र टूट गया, और उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
कुछ ऐसे छले गए वीरेंद्र कांग्रेस में
वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव से पूर्व हवा कुछ ऐसी चली कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी। स्थिति यहां तक थी कि कांग्रेस के कुछ नेता तो खुद को मंत्री ही मानने लगे थे। ऐसी हवाओं के बीच केवल वीरेंद्र रघुवंशी ही नहीं, भाजपा के जितेंद्र जैन गोटू, राकेश गुप्ता, राकेश जैन,,बैजनाथ यादव बड़े बड़े काफिले लेकर भोपाल गए, और कांग्रेस की सदस्यता ले।आए थे। बैजनाथ यादव को तो कांग्रेस ने कोलारस से टिकिट दे भी दिया, लेकिन वीरेंद्र को तो शिवपुरी से टिकिट नहीं दिया गया। अब यह अलग बात है कि लाडली बहनों ने कांग्रेस की सरकार बनने से ब्रेक लगा दिया था। उसके बाद से वीरेंद्र केवल नाम के लिए कांग्रेस में रह गए, और उन्हें महाराष्ट्र सांसद सीख देने लगे, तो फिर रघुवंशी कैसे रुक पाते।
अब देखना यह है कि वीरेंद्र रघुवंशी किसी राजनीतिक पार्टी में जाते हैं या फिर बिना किसी राजनीतिक पद के रहेंगे?। क्योंकि वो जब भाजपा छोड़कर आए थे, तो उनकी बहुत सारी बुराइयां बताकर आए थे, जबकि कांग्रेस को शांति से छोड़ गए।
वीरेंद्र रघुवंशी, पूर्व विधायक