भगवान पर भरोसा, इंसानों की जांच रिपोर्ट पर संदेह, पार्षद पहुंचे कलेक्टर से मिलने
बोले पार्षद: 8 अगस्त के बाद लाएंगे अविश्वास प्रस्ताव, फैल हुआ तो फिर देंगे इस्तीफा
शिवपुरी नगरपालिका में हुए भ्रष्टाचार की जांच रिपोर्ट में आखिर क्या मिला..?, यह पूछने मंगलवार को पार्षद कलेक्ट्रेट पहुंचे। हालांकि कलेक्टर ने इशारों में समझाया कि जो शिकायतें मिलीं थीं, वो सही मिली हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं दिखाई। प्रशासन की पोटली में बंद जांच रिपोर्ट को देखने के इच्छुक पार्षदों का कहना है कि 8 अगस्त को नगरपालिका परिषद के 3 साल पूरे होंगे। उसके बाद hm अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, यदि वो फैल हुआ, तो फिर इस्तीफा देंगे। हालांकि उनका इंसानों से ज्यादा भगवान पर भरोसा है।
बचपन में यह कहते थे कि हम भी खेलेंगे, नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे। यह कहावत शिवपुरी नगरपालिका में चरितार्थ हो रही है। अभी तक नपाध्यक्ष और उनके नजदीकियों ने शहर विकास के लिए आए बजट को कुछ इस तरह ठिकाने लगाया कि केवल अपनी जेब भरी, और शहर बद से बदहाल होता चला गया। नगरपालिका में चल रहे इस संगठित गिरोह के खिलाफ पार्षद एकजुट हुए, और नपाध्यक्ष को कुर्सी से हटाने की मांग लेकर करेरा के बगीचा सरकार में कसम खाने भी पहुंच गए। इतना ही नहीं कसम खाने का वीडियो बनाकर भी वायरल कर दिया।
पार्षदों के एकजुट होते ही संगठित गिरोह की भी बेचेनिया बढ़ गईं, और उन्होंने अपने स्तर पर पार्टी नेताओं को साधना शुरू कर दिया। जिसके चलते भाजपा जिलाध्यक्ष से लेकर प्रभारी मंत्री और केंद्रीय मंत्री के सामने अपना दर्द बया भी कर आए। इतना ही नहीं जिलाध्यक्ष और प्रभारी मंत्री से तो पार्षदों ने यहां तक कह दिया था कि पार्टी स्तर पर कोई कार्यवाही करना है तो कर देना, हमने तो कसम खा ली है, और अब हम अपने कदम पीछे नहीं करेंगे।
शिवपुरी नगरपालिका में संगठित गिरोह द्वारा जो कथित लूट की गई, वो प्रशासन की जांच रिपोर्ट में भी पकड़ में आ गई। इतना ही नहीं कुछ तो ऐसे घोटाले भी मिल गए, जिसकी शिकायत ही नहीं की गई। जबकि सादे 4 करोड़ की रोड रेस्टोरेशन के नाम पर की गई डकैती की फाइल मिलीं ही नहीं। एक तरफ जहां कसम खाने वाले पार्षद प्रशासन की जांच रिपोर्ट देखने के लिए उत्सुक हैं, तो वहीं नपा का गिरोह भी इस असमंजस में है, कि पता नहीं हमारा कौन सा काला-पीला प्रशासन की पकड़ में आ गया। कुल मिलाकर जांच रिपोर्ट को पोटली कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी लिए बैठे हैं, और उसमें क्या बंद है, यह जानने के लिए दोनों गुट ऑफिस में तैनात कर्मचारियों की सेवा करके उनसे भेद लेने के लिए प्रयासरत है। सूत्रों की मानें तो यह जांच केंद्रीय मंत्री के निर्देश पर ही की गई है, ताकि खुद को पाक साफ बताने वालों को उनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार बताया जाकर अगला स्टेप लिया जा सके।