अब सरनेम से नहीं होती वर्ग विशेष की पहचान, समाज के अध्यक्ष भी परेशान

अब सरनेम से नहीं होती वर्ग विशेष की पहचान, समाज के अध्यक्ष भी परेशान
ठाकुरों का चौहान लेकर चले शिवराज, पहले चुनाव ने दाऊ साहब समझकर थोकबंद दिए थे वोट

शिवपुरी से सैमुअल दास:

अब किसी भी जाति वर्ग की पहचान उसका सरनेम में नहीं रह गया, क्योंकि जो हैं, नहीं, वो सरनेम जोड़कर खुद को समाज में दूसरे वर्ग का बताकर रौब झाड़ने का प्रयास करते हैं। मध्यप्रदेश की जनता के बीच मामा और भाई जैसे रिश्ते को जोड़कर उनके दिलों पर राज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने भी धाकड़ होते हुए अपने नाम के आगे चौहान लगाया। अब समाज में सरनेम से पहचान खत्म होती जा रही है। इससे यह सुधार तो जरूर हो रहा है, कि अब ऊंच-नीच का भाव भी खत्म होकर इंसानियत के रिश्ते को मजबूत कर रहा है। क्योंकि सरनेम से कंफ्यूज होकर लोगों का व्यवहार और बातचीत का अंदाज बदल जाता है। इससे समाज के ठेकेदार बने लोग चिंतित तो हैं, लेकिन कुछ कर नहीं सकते, क्योंकि लोकतंत्र में अपना नाम और सरनेम लिखने की आजादी है।
राठौड़ मूलतः क्षत्रिय यानि ठाकुर होते हैं, लेकिन राठौर (तेली) ने दुर्गालाल राठौड़ के नाम में से ड हटाकर र जोड़ दिया, और अब नाम के साथ सिंह लगाने लगे। इसमें सबसे अधिक दुर्गति क्षत्रिय समाज की हुई, क्योंकि समाज में यह वर्ग रौबदार जिंदगी जीने के लिए चर्चित है…..
क्षत्रिय समाज शिवपुरी के अध्यक्ष एसकेएस चौहान से बात हुई तो उन्होंने इस पर चिंता तो व्यक्त की, लेकिन उन्होंने कुछ न कर पाने की मजबूरी भी स्वीकार की। चौहान का कहना है कि समाज में खुद को ऊंचा दिखाने के लिए क्षत्रिय और ब्राह्मण के सरनेम लगाकर सामाजिक भ्रम तो पैदा कर ही रहे हैं, साथ ही सरकार से आरक्षण का पूरा लाभ ले रहे हैं। उन्होंने इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को यह सलाह दी है कि जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर सरनेम बदले हुए हैं, उनका आरक्षण लाभ खत्म कर देना चाहिए। या फिर उनसे कहा जाए कि जो उनका सही सरनेम हो, उसे ही लिखा जाए।

अब सरनेम से नहीं होती वर्ग विशेष की पहचान, समाज के अध्यक्ष भी परेशान

एसकेएस चौहान, अध्यक्ष क्षत्रिय समाज

One thought on “अब सरनेम से नहीं होती वर्ग विशेष की पहचान, समाज के अध्यक्ष भी परेशान”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page