दोऊ दीन से गए रावत: न रही मंत्री की कुर्सी, न रही विधायकी
सरकार ने लगाया पूरा जोर, सिंधिया रहे परिदृश्य से गायब, भाजपा दिग्गजों के दौरे रहे निरर्थक
शिवपुरी। लोकतंत्र में जनता को वोट की जो ताकत मिली है, उसका अहसास समय-समय पर जनता कराती रहती है। विजयपुर के नेताजी ने चुनाव जीतने के बाद मंत्री की कुर्सी के लिए 6 माह बाद ही जनता को भूलकर पार्टी बदल ली। चंद माह लाल बत्ती में घूमने वाले नेताजी को उपचुनाव जिताने के लिए सरकार के दिग्गजों ने पूरा जोर लगाया, लेकिन जनता की मंशा को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले ही भांपकर चुनावी परिदृश्य से दूर रहे। परिणाम जब आया तो जनता ने बता दिया कि नेताजी जीतोगे तो हमारे वोट से ही।
2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विधायक बने रामनिवास रावत ने महज 6 माह में पार्टी बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया था। उस दौरान भाजपा के वो दिग्गज नेता फूले नहीं समा रहे थे, जिन्होंने कड़ी -कुंदे फंसाकर यह दल -बदल करवाया। भाजपा की सदस्यता लेते ही वनमंत्री की कुर्सी भी मिल गई। एक तरफ जहां नेता नगरी में जश्न का माहौल था, तो वहीं अपना वोट देकर विधायक बनाने वाली क्षेत्र की जनता खुद को ठगा सा महसूस कर रही थी।
उसके बाद जब उपचुनाव की तारीख तय हुई, तो क्षेत्र की जनता फिर से सक्रिय हो गई। उधर निर्दलीय प्रत्याशी रहकर टक्कर देने वाले मुकेश मल्होत्रा को भी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। चूंकि विधानसभा चुनाव में भी मुकेश ने कड़ी टक्कर दी थी, इसलिए अब उनके साथ वो वोटर भी जुड़ गए, जो नेताजी के दलबदल व्यवहार से कुपित थे। बस यही समय था जब विजयपुर विधानसभा उपचुनाव का फैसला तय हो गया था। कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत को 7 हजार से अधिक वोट से हरा दिया।
नेताओं के चलते रहे दौरे, जनता रही चुप
विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनाकर रामनिवास रावत को जिताने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कैबिनेट मंत्रियों के दौरे चलते रहे। हर दौरे में सरकारी अमला भीड़ जुटाता रहा, और मंच पर भाषण देने वाले उन्हें अपना वोटर मानते थे। लेकिन चुनाव में सबके सिखाने का संकल्प ले चुके क्षेत्र के वोटर मतदान की तारीख का इंतजार करते रहे। हालांकि वोटिंग के दौरान भी कुछ जगह फर्जी मतदान की खबरें आईं, लेकिन परिणाम तो वही आया, जो पार्टी बदलने के बाद आना था।