प्रभारी मंत्री ने सजा देकर कथित तौर पर खुद ही वापस बुलवाया, रिलीव वाले दिन ही कर दी थी डॉ.खरे ने घोषणा
शिवपुरी जिले में स्वास्थ्य विभाग पर राजनीति इतनी हावी हो गई कि प्रभारी मंत्री अपने दौरे में जिसे सजा दे रहे हैं, कथित तौर पर उसे मंत्री ही वापस बुला रहे हैं। यह खुलासा करेरा में हुई कार्रवाई के बाद लिए गए यू टर्न ने साबित कर दिया।
ज्ञात हो कि बीते 8 अगस्त की अलसुबह करेरा अस्पताल पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को ड्यूटी डॉक्टर नरेंद्र मांझी को हटाया जाकर उनके मूल पदस्थी पर भेजने का आदेश दिया था। उसके बाद जब सीबीएमओ ने रिलीव नहीं किया, तो सीएमएचओ ने लेटर भेजा। चूंकि पत्र करेरा नहीं पहुंचा था, इसलिए बाद में डॉ. मांझी को रिलीव किया गया।
ऑफिशियल ग्रुप पर दिया दूसरे डॉक्टर ने चैलेंज
स्वास्थ्य विभाग करेरा में चल रही गुटबाजी के बीच जब डॉ मांझी को रिलीव किया गया, तो उनके ग्रुप के दूसरे डॉक्टर देवेंद्र खरे ने ऑफिशियल ग्रुप पर ही लिख दिया कि डॉ. मांझी का करेरा वापसी का आदेश अगले दिन ही आएगा। डॉ. खरे का यह मेसेज सीएमएचओ तक भी पहुंचा। हालांकि डॉ. मांझी का आदेश अगले दिन तो नहीं आया, लेकिन 5 दिन बाद वापसी का आदेश आ गया। स्वास्थ्य विभाग में पूरी तरह से हावी हो चुकी राजनीति के बीच आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाएंगी, इसमें संशय ही है।
पीएस होटल में मुलाकात की चर्चा
बताते हैं कि प्रभारी मंत्री दौरे के दौरान जब पीएस होटल में पहुंचे थे, तो उनसे दूसरे गुट के डॉक्टर को मिलवाने के लिए करेरा के पूर्व विधायक व सिंधियानिष्ठ नेताजी ले गए थे। प्रभारी मंत्री ने संभवतः वहीं पर आश्वासन दे दिया था कि मैं अपनी सजा वापस ले।लूंगा। इसी आश्वासन के भरोसे ऑफिशियल ग्रुप पर डॉ मांझी की वापसी का दावा किया गया।
वार्ड बॉय भी बहाल, महिला कर्मचारियों को राहत नहीं
प्रभारी मंत्री के निरीक्षण में गैरहाजिर मिले वार्ड बॉय बाथम को निलंबित कर दिया गया था, जिसे अब अमोलपाठा में पदस्थ कर दिया गया। लेकिन दो की जगह एक बड़ा लड्डू देने वाली महिला कर्मचारियों पर कराई गई एफआईआर वापस नहीं हुई। चूंकि इन महिला कर्मचारियों का कोई गॉडफादर नहीं है, इसलिए वो सजा भुगत रही है।
बोले सीएमएचओ: जिलाधीश के आदेश पर की वापसी
डॉ नरेंद्र मांझी की वापसी के आदेश का मेसेज तो अगले दिन का ही लिखा था, लेकिन इतने दिनों बाद जिलाधीश के निर्देश पर वापसी की है। वार्डबॉय को तो बहाल होना ही था, लेकिन महिलाएं शासकीय कर्मचारी न होकर आउटसोर्स पर थीं, इसलिए उन्हें हटा दिया।
डॉ संजय ऋषिश्वर, सीएमएचओ शिवपुरी