December 23, 2024

जंगल मे बनाई झोपड़ी, तो महिलाओं-बच्चों पर भांजी लाठियां
आदिवासियों की झोपड़ी हटाने पहुंचे अमले से उलझे महिला-पुरुष
पीएम जनमन योजना पर उठे सवाल: आदिवासी बनीं बना पा रहे झोपड़ी
शिवपुरी जिले के कोलारस वन परिक्षेत्र क्षेत्र के सनवारा बीट के कक्ष क्रमांक 128, 129  में वन विभाग द्वारा प्लांटेशन का कार्य किया जा रहा हैं। इस वन भूमि पर वर्षों से कुछ आदिवासी परिवार निवास कर रहे हैं। मंगलवार को वन विभाग का उड़नदस्ता पुलिस व महिला वनकर्मी और कोलारस थाना पुलिस बल को लेकर सनवारा बीट क्षेत्र में पड़ने वाले मोरई गांव में झोपडी बनाकर रह रहे करीब 7 से 8 परिवारों को हटाने पहुंचा। यहां झोपडी को हटाने को लेकर आदिवासियों में विवाद हो गया। जिसके चलते वनकर्मियों ने जब लाठियां भांजना शुरू किया तो फिर महिलाओं व बच्चों को भी नहीं बख्शा। इस मारपीट में एक महिला का हाथ भी फेक्चर होना बताया जा रहा है। वहीं आदिवासियों पर वन अमले ने वर्दी फाड़ने व पथराव का आरोप लगाया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि देश मे पीएम जनमन योजना के तहत आदिवसियों को पक्के मकान देने के दावे किए जा रहे हैं।
गिरेवान पकड़कर बर्दी फाडने का आरोप-
कार्यवाहक वनपाल गिरीश नामदेव का कहना हैं कि जिस स्थान पर आदिवासी रह रहे थे, वो प्लांटेशन के।लिए जमीन थी। वृक्षारोपण के विस्तार के लिए आदिवासियों की झोपडी हटाने के निर्देश मिले थे। टीम मौके पर पहुंची, लेकिन आदिवासी परिवार झोपडी हटाने के नाम भड़क गए। इस दौरान  आदिवासी मारपीट पर उतारू हो गए थे। उनके द्वारा मेरी गिरेवान पकड़कर बर्दी फाड़ दी थी। आदिवासियों ने वन अमले पर पथराव भी किया था। इस पथराव में बीट गार्ड रामचरण केवट, दिनेश सहरिया को चोट आई है।
महिलाओं व बच्चों के साथ मारपीट का आरोप
मोरई के आदिवासियों ने कोलारस थाना में पहुंचकर उनके साथ हुई मारपीट की शिकायत दर्ज कराई हैं। आदिवासी महिलाओं का कहना था कि वनकर्मियों सहित पुलिसकर्मियों ने मिलकर महिलाओं और बच्चों के साथ बेरहमी से मारपीट की हैं। कृष्णा आदिवासी ने बताया कि मौके पर वन अमला झोपडी हटाने पहुंचा था। सभी आदिवासी परिवार जगह खाली करने को तैयार थे। उनसे झोपडी अपने हाथों से हटाने के लिए थोड़ा समय माँगा था ताकि वह झोपडी व सामन को दूसरी जगह ले जा सके। लेकिन वनकर्मी झोपडी तोड़ने पर आमादा थे।
ऐसे शुरु हुआ विवाद
वन विभाग के बड़े बाबू को झोपडी तोड़ने के लिए मना किया था, लेकिन बड़े बाबू ने मेरे बाल पकड़कर लात मार दी। जिससे उसका एक हाथ टूट गया था। बाद में वनकर्मियों ने लाठियों से हमला बोल दिया। सभी आदिवासी परिवारों के साथ बेरहमी से मारपीट की गई। अमला इतने पर भी नहीं रुका, उनके द्वारा बच्चों पर भी लाठियों से हमला बोल दिया। उन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया, जिससे उनके बच्चों में दहशत हैं।
दबंग जोत रहे हैं वनभूमि
मोरई के आदिवासियों का कहना था कि क्षेत्र में सैकड़ों बीघा जंगल की जमीन पर दबंग अतिक्रमण कर उसे जोत रहे हैं। कुछ माह पूर्व जिस जमीन पर आदिवासी परिवार थोड़ी बहुत फसल कर परिवार पालते थे। उस जमीन को क्षेत्रीय दबंगों के कहने पर खाली करा लिया गया। तबसे झोपडी बनाकर मजदूरी कर जैसे तैसे अपना पेट पाल रहे थे। लेकिन वन विभाग ने झोपड़ियों को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया। उन्हें आवास योजना का लाभ तक नहीं मिला हैं।

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