December 23, 2024

अधिकांश सेवाएं चल रहीं आउटसोर्स पर, फिर डॉक्टर भी होंगे निजी कंपनी के
सेमुअल की कलम से:
मध्यप्रदेश में जिस तरह विद्युत विभाग अब बिजली कंपनी बन गई, ठीक उसी तरह स्वास्थ्य विभाग का भी निजीकरण करने की तैयारी शुरु हो गई। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की लैब और टीबी की जांच, सुरक्षाकर्मी व सफाईकर्मी पहले ही आउटसोर्स कर्मचारी कर रहे हैं, तथा 108 सेवाएं भी कंपनी दे रही है। अब जल्द ही डॉक्टर सहित अन्य कर्मचारी भी कंपनी तैनात करेगी। ऐसा होने के बाद सरकारी अस्पतालों का संचालन निजी कम्पनी करेंगी।
गौरतलब है कि मुरैना व गुना में स्वीकृत हुए मेडिकल कॉलेज अब शासकीय न होकर पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत संचालित होंगे। यानि जो कम्पनी उन्हें बनाएगी, वो ही उसका संचालन करेगी। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को जिस तरह से आउटसोर्स पर दिया जा रहा है, उसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि अब बहुत जल्दी स्वास्थ्य विभाग की जगह स्वास्थ्य कंपनी बन जाएगी। फिर उनमें शासकीय डॉक्टर न होकर कंपनी के डॉक्टर व अन्य स्टाफ तैनात रहा करेगा।
निजीकरण के बाद महंगा होगा इलाज
प्रदेश में जब तक विद्युत विभाग था, तब तक उसमें प्रति यूनिट रेट बढ़ाने से पहले सरकार कई बार सोचती थी। लेकिन जबसे बिजली कंपनी बनी है, तबसे हर साल न केवल प्रति यूनिट दर मनमाने अंदाज में बढ़ाई जा रही है, बल्कि उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि विभिन्न मदो के नाम पर वसूल की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग का भी जब निजीकरण हो जाएगा, तो फिर आमजन के लिए निशुल्क इलाज सशुल्क हो जाएगा।
आउटसोर्स कर्मचारियों का भी शोषण
शासकीय अस्पताल हों या मेडिकल कॉलेज, यहां पर आउटसोर्स सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मी सहित लेब कर्मचारियों को जो वेतन दिया जा रहा है, वो वास्तविकता से कम दी जाती है। यह आउटसोर्स कंपनियां भीं नेताओं की हैं, जो भर्ती करने से लेकर हर महीने उनके वेतन में सेंधमारी करके अपनी जेब भर रहे हैं।
बोले सीएमएचओ: अभी चर्चा है, कोई पत्र तो नहीं आया
बिजली कंपनी की तरह ही स्वास्थ्य विभाग का निजीकरण होने की एक खबर आई थी। सफाई, सुरक्षा, 108 व जांचें तो पहले ही आउटसोर्स से चल रही हैं। अब बनने वाले मेडिकल कॉलेज भी पीपीपी मॉडल पर संचालित होंगे।
डॉ. संजय ऋषीश्वर, सीएमएचओ शिवपुरी

अब अस्पतालों में बैठेंगे प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी

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