December 23, 2024

जमीन हड़पने के फेर में मौखिक अनुबंध के आधार पर दर्ज कराया था मामला
अब दोनों नेता एक ही दल में, तो उल्टी पड़ गई चाल, बन गए 420 के आरोपी
शिवपुरी. विधानसभा चुनाव तक कोंग्रेस में रहे और फिर लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ज्वाइन करने वाले दो नेताओं के बीच चल रही जमीन की अदावत में शुक्रवार को उस समय नया मोड़ आ गया, जब कोतवाली पुलिस ने कमला हेरीटेज के संचालक व उनके पुत्र सहित 3 के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया। इस मामले का रोचक पहलू यह है कि इसी कोतवाली में आरोपी बने नरेंद्र जैन ने पोहरी के नेता प्रधुम्न वर्मा के खिलाफ पहले प्रकरण दर्ज कराया था।
जिलां मुख्यालय पर करोड़ों की कीमत वाली जमीन के मालिक प्रधुम्न वर्मा ने पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान नरेंद्र जैन भोला से अपनी 6 हजार वर्गफीट जमीन का सौदा किया। उक्त जमीन के एवज में 10 लाख रुपए का बयाना देकर नरेंद्र ने जल्दी ही रजिस्ट्री कराने का मौखिक अनुबंध किया था। जब एक साल में भी नरेंद्र ने रजिस्ट्री नहीं कराई तो भूमि मालिक प्रधुम्न ने उक्त जमीन किसी दूसरे को बेच दिया। चूंकि चुनाव के दौरान राशि की जरूरत थी, इसलिए प्रधुम्न ने अपनी जमीन दूसरे को बेच दी थी। चूंकि उस दौरान प्रधुम्न वर्मा पोहरी से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए नरेंद्र जैन ने अपने राजनैतिक।रसूख के चलते प्रद्युम्न के खिलाफ यह कहते हुए कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया कि मौखिक अनुबंध का उललंघन किया गया।
इधर प्रद्युम्न ने पहना भाजपा का गमछा
पोहरी में विधानसभा चुनाव का गणित बिगाड़ने के बाद जब गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के जीतने के बाद प्रद्युम्न ने दिल्ली जाकर सिंधिया के हाथों से भाजपा का गमछा पहनने के बाद अपनी खोई हुई राजनीतिक ताकत फिर वापस ले ली। हालांकि प्रद्युम्न बहुत पुराने सिंधीयनिष्ठ हैं।
उधर नेताजी की चाल पड़ गई उल्टी
प्रद्युम्न के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले नरेंद्र जैन भोला ने सिविल सूट में प्रकरण लगाने के लिए 15 मार्च 2023 का एक फर्जी अनुबंध पत्र बनवाकर पेश कर दिया, जिसमे प्रद्युम्न व उनके भाई के फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिए। नेताजी ने माल कमाने और दूसरे को फंसाने के लिए बनवाए गए अनुबंध पत्र में अपने बेटे हर्षित जैन व मुनीम महेश शर्मा को गवाह बना दिया।
ऐसे पकड़ में आया फर्जीवाड़ा
न्यायाकय में सिविल सूट लगाने के लिए नरेंद्र जैन ने जो फर्जी अनुबन्ध पत्र बनवाकर पेश किया, उसकी नोटरी भी नहीं की गई। इतना ही नहीं जिस तारीख में अनुबंध पत्र बना, उस।दौरान प्रद्युम्न इंडिया के बाहर थे। बस फिर क्या था, नेताजी के उल्टे मखाने फिक गए।
बोले प्रद्युम्न: ऐसे ही फंसाते हैं लोगों को
नरेंद्र जैन का यह पहला मामला नहीं है, बल्कि वो हर बार इसी तरह का मौखिक सौदा करके लोगों को फंसा लेते हैं और फिर लोग मजबूर होकर कौड़ियों के भाव जमीन बेच देते हैं। लेकिन इस बार वो अपने जाल में फंस गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page